1 नवंबर, 2023 को, अमेरिकी साइबर सिक्योरिटी फर्म रिसिक्योरिटी ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें दावा किया गया है कि 81.5 करोड़ भारतीयों का निजी डेटा डार्क वेब पर लीक हो गया है। इस डेटा में नाम, पता, फोन नंबर, ईमेल पता, आधार नंबर, और कुछ मामलों में पासपोर्ट नंबर शामिल हैं।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह डेटा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के डेटाबेस से लीक हुआ है, जिसने COVID-19 महामारी के दौरान परीक्षण और टीकाकरण के लिए डेटा एकत्र किया था।
यह भारत में अब तक का सबसे बड़ा डेटा लीक है। यह कई तरह से लोगों के लिए खतरा पैदा कर सकता है, जिसमें:
- आइडेंटिटी थेफ्ट: हैकर इस डेटा का उपयोग लोगों की पहचान चुराने और उनके नाम पर धोखाधड़ी करने के लिए कर सकते हैं।
- साइबर हमले: हैकर इस डेटा का उपयोग लोगों को लक्षित साइबर हमलों के लिए कर सकते हैं।
- वित्तीय नुकसान: हैकर इस डेटा का उपयोग लोगों के बैंक खातों या क्रेडिट कार्ड से पैसे निकालने के लिए कर सकते हैं।
सरकार ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। ICMR ने कहा है कि वह इस डेटा लीक की जांच कर रहा है और प्रभावित लोगों को सूचित करेगा।
इस डेटा लीक के बाद, भारतीयों को अपने निजी डेटा की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- अपने पासवर्ड मजबूत और अद्वितीय बनाएं।
- अपने पासवर्ड को नियमित रूप से बदलें।
- अपने खातों को दो-कारक प्रमाणीकरण से सुरक्षित करें।
- अपने ऑनलाइन गतिविधियों पर नज़र रखें।
- अपने क्रेडिट रिपोर्ट की निगरानी करें।
यह डेटा लीक एक गंभीर सुरक्षा उल्लंघन है जिसका भारतीयों पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है। लोगों को इस मामले पर जागरूक होना चाहिए और अपने निजी डेटा की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए